क्या हम मानव इस धरती पर जला दिए और दफना दिए जाने के लिए आते है ?
शान ने इस जला दिए जाने और दफना दिए जाने की मानव निर्मित क्रूर सामाजिक व्यवस्था से निपटने का मन बना लिया था .शान ने यह सोच लिया था कि वह जिस महान अंतरिक्ष से उतरा है ..उसी विराट अंतरिक्ष के सत्य को धरती पर स्थापित करेगा ...चाहे जो कुछ हो जाये ..वह समझोता नहीं करेगा तो नहीं करेगा ..
आप सभी दिल थामकर बैठ जाएँ .मैं एक ऐसे युवक की कहानी आपको सुनाने जा रहा हूँ ..जो पहली बार इस धरती की ओर आया है ..अंतरिक्ष की बियावान पर क्रूर अँधेरी आकाशगंगाओं की गलियों में सदियों भटकने के बाद जब वह पृथ्वी के सौरमंडल के पास से गुजर रहा था ..तो उसे हमारे सौरमंडल की सौरगलियों में अरबों-खरबों स्त्री ,पुरुषों ,बच्चों ,बूढों के भयानक रुदन का स्वर सुनाई दिया ..वह ठिठक कर रुक गया .
अंतरिक्ष के अंतराल से उसने जब सौरमंडल की हमारी आकाशगंगा में झांक कर देखा तो दंग रह गया.पृथ्वी के चारों ओर अरबों-खरबों मनुष्यों के मरे हुए सूक्ष्म शरीर तैर रहें थे ..और उन सूक्ष्म शरीर के आवरण ''कारण शरीर'' बिलख-बिलख कर रो रहे थे .
मैं आपको इस तथ्य से अवगत कराता चलता हूँ कि हमारे स्थूल शरीर के नष्ट हो जाने बाद भी हमारा सूक्ष्म शरीर बना रहता है ..यह शरीर ठीक वैसा ही होता है -जैसा हमारा स्थूल शरीर होता है ..क्योंकि यह सूक्ष्म शरीर इतना हल्का होता है कि मानव कि मृत्यु के तुरंत बाद यह स्थूल शरीर से अलग हो जाता है ..और पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करके ..और इसका छेदन करके पृथ्वी के बाहर ''पृथ्वी कक्षा ''में पहुँच जाता है ..और फिर पृथ्वी के भयंकर गुरुतवाकर्षण की वजह से पृथ्वी कक्षा का छेदन नहीं कर पाता..परिणामस्वरुप लाखों-करोड़ों वर्षों तक वहां असहाय तैरता रहता है ...
इस महान अजर-अमर ''कारण शरीर'' के बारे में मैं आपकों बाद में बताऊंगा ..पहले इस ''शान'' की कहानी सुनो ...
उसका नाम वास्तव में शानदार था .
शान... [क्रमश....]
शान ने इस जला दिए जाने और दफना दिए जाने की मानव निर्मित क्रूर सामाजिक व्यवस्था से निपटने का मन बना लिया था .शान ने यह सोच लिया था कि वह जिस महान अंतरिक्ष से उतरा है ..उसी विराट अंतरिक्ष के सत्य को धरती पर स्थापित करेगा ...चाहे जो कुछ हो जाये ..वह समझोता नहीं करेगा तो नहीं करेगा ..
आप सभी दिल थामकर बैठ जाएँ .मैं एक ऐसे युवक की कहानी आपको सुनाने जा रहा हूँ ..जो पहली बार इस धरती की ओर आया है ..अंतरिक्ष की बियावान पर क्रूर अँधेरी आकाशगंगाओं की गलियों में सदियों भटकने के बाद जब वह पृथ्वी के सौरमंडल के पास से गुजर रहा था ..तो उसे हमारे सौरमंडल की सौरगलियों में अरबों-खरबों स्त्री ,पुरुषों ,बच्चों ,बूढों के भयानक रुदन का स्वर सुनाई दिया ..वह ठिठक कर रुक गया .
अंतरिक्ष के अंतराल से उसने जब सौरमंडल की हमारी आकाशगंगा में झांक कर देखा तो दंग रह गया.पृथ्वी के चारों ओर अरबों-खरबों मनुष्यों के मरे हुए सूक्ष्म शरीर तैर रहें थे ..और उन सूक्ष्म शरीर के आवरण ''कारण शरीर'' बिलख-बिलख कर रो रहे थे .
मैं आपको इस तथ्य से अवगत कराता चलता हूँ कि हमारे स्थूल शरीर के नष्ट हो जाने बाद भी हमारा सूक्ष्म शरीर बना रहता है ..यह शरीर ठीक वैसा ही होता है -जैसा हमारा स्थूल शरीर होता है ..क्योंकि यह सूक्ष्म शरीर इतना हल्का होता है कि मानव कि मृत्यु के तुरंत बाद यह स्थूल शरीर से अलग हो जाता है ..और पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करके ..और इसका छेदन करके पृथ्वी के बाहर ''पृथ्वी कक्षा ''में पहुँच जाता है ..और फिर पृथ्वी के भयंकर गुरुतवाकर्षण की वजह से पृथ्वी कक्षा का छेदन नहीं कर पाता..परिणामस्वरुप लाखों-करोड़ों वर्षों तक वहां असहाय तैरता रहता है ...
इस महान अजर-अमर ''कारण शरीर'' के बारे में मैं आपकों बाद में बताऊंगा ..पहले इस ''शान'' की कहानी सुनो ...
उसका नाम वास्तव में शानदार था .
शान... [क्रमश....]
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