विश्व की रातें गहरी और काली होती जा रही है ...विभिन देश अपना-अपना सिर विश्व मानचित्र से बाहर निकालकर यह देख रहें हैं कि क्या कोई है .....? जो उन्हें बचा लेगा .....?देशों और देशान्तरों के बीच की गुप्त लड़ाईयां अपनी FINAL STAGE पर पहुँच रही है ...विश्व बाजार अपनी अंतिम बिकवाली के लिए तैयारी कर रहा है ...वहीं विश्वग्राहक अपनी अंतिम खरीदारी की व्यवस्था कर रहा है ...भूमंडल की सीमाएं अपने-अपने देशों का ध्वज पकड़कर ; उचक-उचकर UNO की ओर देख रहें हैं ...साहित्य ,कला ,विज्ञान और संगीत की दुनियाँ का स्वर गाते-गाते रो पड़ता है ...विश्व राजनीति या तो अमरीका की ओर देख रहीं हैं ....या फिर आसमान की ओर देख कर दम तोड़ रहीं हैं ...इस महाभयंकर असुरक्षा के दौर में संयुक्त राष्ट्र संघ की भूमिका बहुत अहम् हो जाती है ...चीन, ब्रिटेन ,अमरीका और फ्रांस आदि देशों को मैं एक सुझाव देना चाहता हूँ ...विशेषकर वीटो अधिकार प्राप्त अमरीका और चीन को ...PLEASE वे एक प्रस्ताव शीघ्र ही UNO में लेकर आये ...की जिसमें UNO की तरफ से प्रति देश में एक CIVIL CORE GROUP की स्थापना की जाये ...इस CIVIL CORE GROUP में उस देश के प्रतेक FIELD से यथा विज्ञानं , साहित्य ,संगीत ,धर्म,अध्यात्म ,राजनीति ,सामाजिक आदि से LATEST YOUTH का चयन UNO अपनी देख-रेख में गोपनीय तरीके से करके उन्हें उस देश की समसंयाओं से UNO को अवगत कराने की जिम्मेदारी सौंपें ....क्योंकि पिछले दशकों में मेरे देखने में यह आया है कि सरकारों के देशिक स्वार्थों ,मांगों ,और EGO की वजह से ही आतंकवाद ने अपना सिर उठाया है ...और आने वाला समय तो इससे भी खतरनाक इसलिए होगा ...क्योंकि विश्वबाजार को कुछेक वैश्विक धनिक परिवारों ने हडपने का प्रयास करना आरम्भ कर दिया है ...इससे समूचा वैश्विक अर्थशास्त्र लडखडाकर धडाम से जमीन पर गिर पड़ेगा ...इससे पहले कि विश्व की धनसंपदा और शक्ति कुछेक लोगों के हाथ चली जाये ...UNO को तुरंत ही प्रति देश में एक CIVIL CORE GROUP की स्थापना इसलिए कर देनी चाहिए कि जिससे इसतरह की विष्फोटक समस्याओं को मोनिटर करके UNO को जमीनी हकीकत से अवगत कराया जा सके ...ऐसा मेरा विनर्म सुझाव है ..अगर आपका भी कोई सुझाव हो तो मेरे साथ SHARE करें ...मेरा EMAIL ID है ....raviduttmohta@gmail.com .......प्रतीक्षा में ....... - रविदत्त मोहता
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Sunday, 30 October 2011
THE TRUTH OF 2012
हमने धरती के पाँचों तत्वों से वो सहज मुलाक़ात करना बंद कर दिया है , जेसी कभी हमारे महान पूर्वज इनसे किया करते थे .आज के बच्चों का ''आकाश तत्व '' टीवी का SCREEN है . बीयर ,शराब और COLD DRINKS इनका ''जलतत्व'' है ...प्रतिशोध ,नफ़रत, और धन कमाने की वासना इनका ''अग्नितत्व''है .तेज दौड़ते वायुयान ,रेलगाड़ियाँ और कारें आदि इनका ''वायुतत्व''है.और .....लडकियां इनका ''पर्थ्वितत्व''है .वर्तमान युग की मनावप्रजाती अंतरिक्ष के महान पंचतत्वों से विलग हो गयी है .यही कारण है कि किसी दिन इक साथ ये पंचतत्व यथा -अग्नि,वायु,जल,प्रथ्वी और आकाश ....मानवजाति का भक्षण करने के लिए वर्ष २०१२ से ACTIVATE होने वाले हैं ...मैं विश्व से अत; यह प्राथर्ना करता हूँ कि हम जितना शीघ्र हो पुन: इन पञ्च तत्वों से जुड़ जाए ...क्योंकि हम सभी का शरीर भी इन्हीं पञ्च तत्वों से मिलकर बना है ...सो इनके प्रति हमारी उपेक्षा हमारे शरीर को हमारे ही द्वारा नष्ट करने का एक भयंकर प्रयास है ....मैं देख रहा हूँ कि धीरे-धीरे मानवजाति असाध्य बीमारियों और प्राक्रतिक आपदाओं के द्वारा मारी जा रही है ...वर्ष 2012 का सच MENTAL DISORDER से आरम्भ होकर मानव शरीर के DESTROY होने की दर्दनाक कहानी का आरंभिक सच न बन जाये .............
रविदत्त मोहता
Friday, 28 October 2011
ART OF BIENG MOVEMENT
आज अभी भारतवर्ष में रात्री के दो बजे हैं .मैं एक आत्मप्रेरना से उठ बैठा हूँ ....और यह पोस्ट लिखने बैठ गया हूँ ... मैं देख रहा हूँ कि मुझे हमारे महान पूर्वज सुदूर अन्तरिक्ष के झरोंखों से झाँक कर यह कह रहें हैं कि हम अब धरती पर रहना सीख लें ...वरना सन २०१२ से जो MENTAL DISORDER पूरी धरती पर होने वाला है ..वह बहुत ही भयानक होगा ...मैं देख रहा हूँ कि अभी कुछेक वर्षों से भारतवर्ष में मेरे आदरणीय कुछ सन्यासियों ने और समाजसेवियों ने राजनेतिक व्यवस्था के खिलाफ तथा सामाजिक कुव्यवस्था के खिलाफ ...जैसे भर्ष्टाचार आदि के खिलाफ एक मुहिम चला दी है ...विशेषकर मैं आदरणीय श्रीअन्नाहजारे जी , श्रदेय बाबारामदेव जी और श्री श्री रविशंकर जी के नामों का उल्लेख करना चाहूंगा ..पर मैं इनके प्रयासों के तरीकों से सहमत नहीं हूँ ...कारण यह है कि जब कभी भी धरती के वायुमंडल में विरोधस्वरूप कोई स्वर उठता है ...तो वह स्वर कालजयी स्रजन करने की शक्ति खो देता है ...हम अगर गौर से देखे तो पायेंगे कि प्रक्रति के पाँचों महान तत्व यथा हवा ना तो अग्नि के खिलाफ धरती पर है ...न ही आकाश इस धरती के खिलाफ है ...और ना ही वायु धरती पर व्याप्त आध्यात्मिक शान्ति के खिलाफ है ...ये पाँचों महान तत्व बस अपने होनेपन को लेकर ईमानदार है ..लेकिन ये सभी एक दूसरे के खिलाफ नहीं है ..इसी कारण धरती पर हमारा जीवन अभी तक बना हुवा है ..मैं इसी विज्ञान को धरती को बचाए रखने के लिए आवश्यक मानता हूँ ...अतः धरती पर अब इसी महान आध्यत्मिक संक्रांति की सन २०१२ से परम आवश्यकता है ...हमें स्वर के इस महानविज्ञान को फिर नष्ट होती इस धरती को बचाए रखने के लिए लागू करना होगा ...यही अन्तरिक्ष के अंतराल के मध्य स्थित संविधान की हमसे मांग है ..यही ART OF BEING का मेरा सपना और लक्ष्य है ...क्योंकि धरती को आज क्रान्ति की नहीं बल्कि एक महान ''संक्रांति'' की आवश्यकता है ..... - रविदत्त मोहता
Wednesday, 26 October 2011
GURUPARV-DEEPAAWALI
प्यारे भाईओं और बहनों ,
भारतवर्ष में दीपावली का पर्व आज मनाया जा रहा है . मैं दीपावली को ''गुरुपर्व''मानता हूँ . क्योकि सद्गुरु ही दीप जलाने की कला को जानते हैं .मित्रों...भारत एक ऐसा देश है -जहां आज भी रोज शाम को महिलांए अपने -अपने घर में बनाये छोटे -छोटे मंदिरों में दीप जलाती हैं ....मेरा देश मूलत; ''ऊर्जा''का देश है . हम ''ऊर्जा''के विज्ञान को जानते हैं .हम सभी ''प्रकाश की जलती मशाले'' हैं और सुदूर अन्तरिक्ष के प्रकाशित छोर से इस ग्रह पर एक नया ''दीपपत्र''लिखने आये हैं ....तो आज से हम ''एकदूसरे''के घरों में दीप जलाना आरम्भ करें ....''दीपों के दान '' को ही मेरे गुरु दीपावली कहते हैं ...महान अमरीका को भी दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें ...
--रविदत्त मोहता ,भारत
Monday, 24 October 2011
ROOH KI ANGULIYOUNE
सुबह -सा ऊजला चेहरा तेरा
रूह का घूंघट
ओढ़े तकता किसे
दीप -सा जलता चेहरा तेरा
आरती का टीका बन सजता किसे
रूह की सेज पर सजा पहरा तेरा
चाँद को तकते -तकते थकता किसे
होंठों की दबिश में दबा सेहरा तेरा
अंगड़ाई आँखों से बहकता किसे
सुबह को खोदते सुनहरे पाँव तेरे
आकाश के ताजे सूर्य उगाते किसे - रविदत्त मोहता
Saturday, 22 October 2011
MAHAAPRTIKSHA
आज सुबह जब उठा इस बियावान धरती पर ......तो देखा कि फिर सुबह आसमान से धरती पर गिर पडी थी .आकाश के पूर्वी छोर से लंगडाते हुए दिन निकल रहा था ....इधर दूर अन्तरिक्ष में सूर्य अपने सौरमंडल से धूप के महीन धागों से एक सुंदर साडी बुनकर धरती को पहना रहा था ....आज फिर मैंने देखा कि मेरी ''महाप्रतिक्षा'' सुदूर अन्तरिक्ष के एक झरोखे से टुकुर-टुकुर झांककर देख रही थी ...क्योकि मैंने उसे वचन दिया है कि मैं उसकी इस धरती पर तब तक प्रतीक्षा करूँगा ...जब तक वह मेरे दिव्य होंठों का स्वर न बन जाए ....कि जब मैं उसे गुन्गूनादू
तो कब्रिस्तान और शमशान भी श्रीकृष्ण की बांसुरी के स्वर बनकर जाग उठे ...और सभी मृत शरीर पुन्ह जीवित होकर इन प्राचीन मृत्युशास्त्रों से बाहर निकल आये ...मैं इन सभी को छाती से लगाने के लिए ही सूर्यपुत्री ''सावित्री'' की इस धरा पर ''महाप्रतिक्षा'' कर रहा हूँ ...... - रविदत्त मोहता
Wednesday, 19 October 2011
USA AND INDIA
मैं हमेशा से एक बात कहता रहा हूँ कि अमेरिका एक ऐसा देश है -जो सबसे पहले ''अतिमानव''का स्वागत करेगा . कारण इसका इतना ही है कि ईश्वर ने अमेरिका को दुनिया का नेत्रत्व प्रदान करने का जिम्मा सौंपा है -पर वहीँ भारत को दुनिया का मार्गदर्शन करने का जिम्मा दिया है .....LEADERSHIP AND GUAIDENCE ये दोनों जुड़वाँ भाई हैं ....और हमारी यह प्यारी धरती इन दोनों देशों की महान जिम्मेदारी है ......... - रविदत्त मोहता
Saturday, 15 October 2011
EVOLUTION OF BEING
सूर्य का चक्कर लगाती इस धरती पर हम लाखों वर्षों से रह रहे हैं .... दूसरे शब्दों में हम लाखों वर्षों से सूर्य के चारों तरफ प्रदक्षिणा कर रहें हैं ..... इस प्रकार हमारा जन्म गति के वर्तुल प्रकार के परिणामस्वरूप हुआ है . लेकिन जिस सौरमंडल के केंद्रीय ग्रह सूर्य के चारों ओर हमारी धरती घूम रही है -वह सूर्य और हमारी धरती अपनी धुरी पर भी घूम रहें हैं .....इस घूर्णन गति की वजह से ही अन्तरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण का जन्म हुआ है . धरा पर सभी जीव-जंतु घूर्णन गति और वर्तुल गति के कारण ही चल-फिर और रूक पाते हैं . EVOLUTION OF BEING का सिदान्त मेरे मतानुसार इसी कारण इस ग्रह पर है . वर्तुल गति हमें मृत्यु की तरफ ले जाती है .....परन्तु घूर्णन गति हमें पुन; जीवन प्रदान कर देती है . अब मृत्यु पर विजय प्राप्त करने के लिए हमें वर्तुल गति को त्यागना होगा . वर्तुल गति को त्यागना ही ''अतिमानस'' का पहला कदम है . यानि घूर्णन गति में सूर्य की तरह विस्फोटित होकर भी अपनी धुरी पर बने रहना . यही चेतना हमें सूर्यमुखी रुद्राक्ष बनाकर अजर और अमर कर देगी .यह मेरा अनुभव है . रविदत्त मोहता
MIND-OVERMIND-SUPERMIND
धरती पर अभी तक दो तरह के मस्तिष्क ने जन्म लिया है . पहला है -मनुष्य का मस्तिष्क और दूसरा है -देवताओं का मस्तिष्क . देवताओं के मस्तिष्क को अंग्रेजी में OVERMIND यानि ''अधिमानस'' कहते हैं . अधिमानस को बहुत पुख्ता तरीके से भगवान् श्रीकृष्ण ने भूतकाल में अभिव्यक्त किया था . इस ''अधिमानस'' के पास लीलाएं और चमत्कार तो था ....पर धरती को मृत्यु से मुक्त करने का कोई स्थाई समाधान नहीं था . ... इसी कारण श्रीअरविंद ने अन्तरिक्ष के अंतरालो से ''SUPERMIND''यानि अतिमानस को धरती पर आने के लिए राजी किया . यह वही ''अतिमानस'' है -जोकि भविष्य के ''अतिमानव''के पास है . इसकी पहली विशेषता यह है कि यह धरती को मात्र एक पुस्तकालय समझता है . इसलिए यह हमारे लिए सुदूर अन्तरिक्ष से कुछ नया और ताजा जीवन लेकर आ रहा है .....हमें इसका पुरजोर स्वागत करना चाहिए . मित्रों .....चाहता हूँ कि आप भी मुझे मेरी हर POST का जवाब जरुर दे . रविदत्त मोहता
Friday, 14 October 2011
SUPERMAN
मानव का क्रमिक -विकास लोकतन्त्रों और राजतंत्रों से नहीं होता .यह विशुद्ध रूप से एक आध्यात्मिक घटना होती है .क्रमिक -विकास में महत्वपूर्ण भूमिका धरती के आकाश और ब्रमांड में फैले 'डार्क-मैटर'की होती है .अंतरिक्ष में गति वर्तुल नहीं है -बल्कि 'सर्पिल' है .इसी कारण हिन्दू देवताओं के महादेव शिव के गले में 'सर्प'एक ब्रह्मा के रूप निवास करता है . मैं आज एक 'तथ्य'आप सभी को यह भी बताना चाहता हूँ किश्रीकृष्ण जहाँ चेतना के स्तर पर 'अतिमानव' को सहायता प्रदान कर रहें हैं -वहीँ महादेव-शिव देहिक स्तर पर अतिमानव' का नया शरीर रच रहें हैं .......... - रविदत्त मोहता
Wednesday, 12 October 2011
श्रीमा और श्रीअरविंद वर्तमान युग के आदिपुरुष और आदिस्त्री हैं . हर नया कलेवर अपने युग का आदिमानव् होता है ......... रविदत्त
Tuesday, 11 October 2011
GROW
WE ARE HERE TO GROW.....NOT FOR GO.......SO....SHOW MUST GROW ON.......AND THEN ,WE SHALL BRO-ON. RAVIDUTT MOHTA
Sunday, 9 October 2011
Biography
TODAY, I AM PUBLISHING MY GLOBLY RECOGNISED BIOGRAPHY -'EK AADIMANAV KI AATMKATHA'. THIS BOOK HAS BEEN SELECTED BY 'USA;S RENOWNED-'LIBRARY OF CONGRESS'.MY GREAT GURU DR.AWADESHANAND GIRI JI INNOUGRATED THIS BOOK AND TODAY MY WIFE SMT.VANDANA MOHTA IS SHARING MY VISION WITH ALL OF YOU.
RAVIDUTT MOHTA
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