अनादिकाल से यह प्रश्न सापेषरूप से धरती पर पूछा जाता रहा है .....कि क्या ईश्वर है ?...आज मैं NATURE की एक CHEMISTRY के बारे में आपको बताना चाहता हूँ ....हम इस धरती पर ''नहीं '' शब्द इस कारण उच्चारित कर पाते है ...क्योंकि अस्तित्व का ही दूसरा नाम ''हाँ'' है ...आप छलांग लगाकर देखिये इस प्रकाशित और जलते हुए अन्तरिक्ष में ...यहाँ ''हाँ'' यानि ''YES'' में से ही ''NO-NESS'' यानि ''नहीं'' का जन्म हो रहा है ...मेरे कहने का आशय यह है कि अन्तरिक्ष के सारे विस्फोट ...जिसमें ''BIG-BANG'' का महाविस्फोट भी शामिल है ...इस ''नहीं'' रुपी ''हूंकार'' की स्थापना के लिए ही कालान्तर में हुआ था ....लेकिन परिणाम क्या निकला ...इस ''नहीं'' के महाविस्फोट में से हम मनुष्य रुपी ''हाँ'' भरे आदम चेहरे बाहर निकल आये ..तो अंतत; अस्तित्व ने फिर अपने होने का परिचय मनुष्य रूप में जन्म लेकर दे दिया ...ईश्वर ही अनादि काल से अन्तरिक्ष में विस्फोटित होकर ''अंकुरित'' हो रहा है ...ये विस्फोट अन्तरिक्ष की ''CHEMISTRY'' के आदि और अनादि मन्त्र हैं ...यानि ''NO-NESS'' में से ही ''NOW-NESS'' का जन्म होता है ..ईश्वर ''NOW'' है ...और है ....... रविदत्त मोहता ,भारत
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